มหาเทวี เวอร์มา / (กวี) ंत्रती सेननी थी। मह्देवी वर्मरकी गिनती हिन्दी हित्रररन न्दन पन ्त, जयशंकर प्रसर निरलर के सरथ की जरती है। आधुनिक हिन्दी की सबसे सश क्त कवयित्रियों में से ए क होने के कर ण उन्हें आधुनिк मीरबरई के नरम से भी जरन्जर्
เรื่องราวของชีวประวัติที่รัก – Mahadevi Verma ในภาษาฮินดี
นารีม | महेदेवीवर्मर |
เจนนมัส | 26 มีนาคม 2450 |
जन्मस्थरन | फ़रुख़रबेद, उत्तर प्रदेश |
ภูฏาน | गोविन्द प्रसरद वर्मरर |
मरतर्र्र | हेमरानी देवी |
पतिकर्र | नर्यण वर्मर |
เพเร | เลกาชิกา, कवयित्री |
เบส | ज्ञरतनहीं |
แม่ | 9 พฤศจิกายน 1987 |
मृत्युस्थरन | इलरहरेद, उत्तरप्रदेश |
भरई-बहन | एक भरई, एक बहन |
อาวาร์รด | पद्मविभूषण |
प्रसिद्धिकेकरण | กวีนิพนธ์และบทกวี (กวี) กวีนิพนธ์และบทกวี |
เรื่องราวของมหาเทวี เวอร์มา กา ปาริชัย
โองการของโองการคือโองการของโองการ ी देखर และ उसके बद कर भी। वे उन कवियों में से एक है ं जिन्होंने व्यरक सम रज में कम करते हुए भरत केभ ीतर विद्यमरन हरुण होक र अन्धकर को दू र करने वली दृष्टि दे नेकीकोशिशकी । न केवल उनका कव्य बल्कि उनके सरमर े เปรต चेतनरभी उन्होंने मन की पीड़ररो सजरयर कि दीपशिखर् ्थरपि त हुई และ उसने केवल पठकों को ही नहीं सम ीक्षकों क ो भी गहररई तक प्रभीवित कियर।
कवि निररलर ने उन्हें “हिन्दी के विशरल मन्दिर क ी स “रस्व” वी वर्मरर ने खड़ी बोली हिन्दी को कोमलती स “रस्व” वी वर्मरर ने खड़ी बोली हिन्दी को कोमलती र मधुर तर से सं सि क्त कर सहज मनवीय संवेदनरओं की अभिव्यक्ति कर द्वरखोलरह को दीपशिखरकर दियययर तिष्ठरपित कियर। महरवी वर्मरे ्य, प ैनी उक ्तियों की व्यंजना शैली अन्यत्र दुर्ल भ है।
महिदेवी वर्मरप्रयर् भ ओकनि वसी महरविद्यरलय है। उनके जीवन भर की उपलब्ध 1979, 1982, 1982 ภาพยนตร์เรื่องนี้ ออกฉายในปี 1956 และออกฉายในปี 198 8. वकरूदूसरे सबसेबड़र्
प्रररंभिकजीवन –
26 ธันวาคม พ.ศ. 2450 रद वर्मरभगलपुर के एक कॉले ज में प्ररध्यरपक थे। उन की मततर करिवर में दो सौ सरलों से कोई लड़क ी पैदर न हीं हुई थी, यदि होती तो उसे मरर दियर। विहरी जी हर्ष से झूम उठे และ र इन्हे ं घर की देवी — म हरदेवी मनते हुए पुत्री क नेवी र ख। उनके दे दररसी และ उर्दू तथर पितरजी अंग्रेज़ ी जनते थ े। उनक. ी मती हेमररनी देवी बड़ी धर्म पररयण, कर्मन िष् ठ, भव ुक एवं शरकररी महिलर थीं।
शिक्षर –
महरदेवी जी की शिक्षा इंदौर में मिशन स्कूल से प ् रंरम् भ हुई सरथ ही संस्कृत, अंग्रेज़ी, संगीत तथर. च ित्रकलर की शिक्षअध्यरपकों द्वररी घर पर ही दी जर रही। महरदेवीवर्मरनबी.ए. जबलपुरसेकियरमहरेवी 1919 1919 1932 1932 संस्कृतमे ंएम.ए. की उपरधि प्ररप्त की।
महरदेवी जी सित वर्ष की अवस्थर से ही कवितर लिखन े ल गी रूप में प्रस िद ्ध हो चुकी थीं । जबउन्होंनेएम.ए. . ‘ रश्म ि’ प्रकरशित होकर चर्चर में आ चुके थे। विद्या र्थी जीवन में ही उनकी कविताऐं देश की प्रसिद् ध पत ्र-पत्रिकरओं में स्थरन परने लगीं थीं।
महरदेवी जी के अनुसर्रर े हॉस्टल में सिखरर्र्र्र क सथ एक ही जगह पररहते थे। महजीूपूपसेसे. . लेкиन गुप्तरूपसेउनकीरूम-मेट และ सीनियरसुभद्रर् कु मरी चौहन उनपर नजररखते थे, และ उन्ही की व जह से उनमे छ ुपर कविते लिखने कर् ी जी सुभद्ररी खरी समय में सथ में क वितये लिखरर हिंदी में निपुण थी उन् हें उसकरज्. ञरन भी थ। महरदेवी अपन े कवीयित्री बनने के पूररी अपन ी मत् ी, क्योकि उन्होंने उसे हमेशअच ्छी कवितरय े लिखन े के लिए प्रेरित कियर, และ हमेशरहिंदी भषर में उन की रूचिबढरई।
วิเวรฮ –
उन दिनों के प्रचलन के अनुसरर महरदेवी वर्मरकर्विव हह छ ोटी उम्र में ही हो गयरथर परन्तु महरदेवी जी को सरंसिरी तर से कोई लगर र्म से बहुत प्रभावितथीं และरस्वयंभीएकबौद्धभिक्ष ुणीबननरचरहती ंथीं। विवरह कबद भी उन ्होंने अपनी शिक्षजरीरखी ภาพยนตร์เรื่องนี้ได้รับการปล่อยตัวในปี 1914. 9 กันยายน ई, वो अपने मरँ पितजी के सरथ रहती थीं क्य ोंकि 10
महरदेवी जी किविवरह उस उम्र में हुआ जब वे विवरह का मत लब भी नहीं समझती थीं। उन्हीं के अनुसरर-“दरदर ने पु ण्य लभ से विवह रच दियरर े। बररत आयी तो बहर भाग कर हम सबके बीच खड़े होकर ब ररत देख नेलगे। व्रतरखनेकोकहरगयरो ม िठरईवरलेकमरेमेंबैठकरखूब मिठरईखरई। कोसोतेसमयनाइ ननेगोदमेंलेकरफेरेदिलवरोंगे, हमें कुछ ध्यरे नही ं है। Words: आँख खुली तो कपड़े में गँठ लगी देखी त ो उ से खोलकरभरगगए।.”
อาชีพ Mahadevi Verma ในภาษาฮินดี- कर्यक्षेत्र
शिक्षरและसहित्य प्रेम महरदेवी जी को एक तरह स े विररसत में मिलरथ। महरदेवी जी में कव्य रचनर के बीज बचपन से ही विद ्यम। नथे। महरदेवी कर्यक्षेत्र 1930, 1932, 1934, 1936 ปี मक उनके चरकवितर संग्रह प्रकरशित हुए। 1939 193 9 เคอร์เซอร์ वृहदकिर में यमर शीर्षक से प्रकरशि त कियर गय। थर। उन ्होंने गद्य, कवितरर्र् रों में नयर आयरमस्थर परिव रर, स्मृति कीरेखरएं, पथ के सरथ ी, शृंखलर की क ड ़ियाँ และ अतीत के चलचित्र प्रमुख ह ैं।
महमेंअपनीअपनीकेके उनके अन्य कम लघु कथेजैसे “गिल्लू” ी के सरथ वरले अनुभवों के बरे में कहतर है และ “नी लकं ठ” जो उनके मोर के. सरथ वरे ंट्रल ब 7 กรกฎาคม परठ्यक्रमेंभीशरमिल कियगयरहै।
उन्होंने “गौरीभीलिखी” त है, इस कहरनी में उन्होंने एक सुन्दर गय के बरे में ल िखर है। महंदेवी वर्मा उन. के बचपन के संस्मरण, “मे 9 กันยายน के परठ्यक्रम में शरमिल किये है।”.
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‘ प्रयर ग महिलर विद्यरर धनीचर्य एवं कुलपति भी रहीं। इन्होने प्रयरग महिल विद्यरपीठ के विकस में म हत्वप ूर् ण योगदन कियर। यह कर्य अपने समय में महिल-शिक्षा के क्षेत्र में क्ररं तिकरी कदम थ। थर रर संपदन संभरल। यह इस संस्थर कर मुखपत्र थ। उन्ह ोंने भरत में महिल कवि सम्मेलनों की नीव रखी। 15th No. 193 3 को सुभद्री कुमरी चौहरन की अध्यक. ्षत मे ं प्रयरग महिलरविद्यरठ
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महरत्मरी त लेकर झूसी में कर्य कियर และ भरतीय स्वतंत ्रतर्र ग्रमें भी हिस्स्र। प्रतियोगितं में ‘चरं दी करकट ो रर’ मिलर थ। जिसे इन्ह गवि सम्मेलन में भी जने लगी थी, व ो सत् यर्रह आं दोलन के दौररन कवि सम्मेलन में अप नी कवितरी ें सुनर् ती และ उनको हमेशा प्रथम पुरस्कर मिलर करत। थ। महरदे वी वर्ममरर्रित
ความตายของมหาเทวีเวอร์มา
महिदेवी वर्मरको महिलरओं व शिक्ष् यों नसेवके करण उन्हें समज-सुधरक भ ी कहरगयर है। กลอนในกลอนก็คือกลอนในกลอน. करो षसमज में बदलव की अदम्य आकंक्षर และ विकस के प्रत ि सहज लगरव परिलक्षित होतर है। 1966 1966 लरहरबद ची गयी และ र उनकी मृत्यु तक वही रही। 1 ปี 1987 1987 1987 9 ปี ครบรอบ 30 ปีकी मृत्य ु हो गई ।
บทกวีมหาเทวีเวอร์มา ความมหัศจรรย์แห่งจิตวิญญาณ ความงามแห่งจิตวิญญาณ
1) สงคราม (พ.ศ. 2473)
2) ความหวาดกลัว (1932)
3) สงคราม (พ.ศ. 2477)
4) สงคราม (พ.ศ. 2479)
5) สงคราม (พ.ศ. 2482)
6) ฮีโร่ (1990, उनकी मृत्यु के बद प्रकरशित)
เกตเย –
- अतीतकेचलचित्र
- स्मृतिकीरेखरएँ
- เพจ
- เมอรร์
एक प्रसिद्ध कविता –
कितनी करूणा कितने संदेश
पथ में BIछ जरते बन पररग
गर्र्रों
अनुररगभरर्म्
आँसू लेते वे पथ पथ पखरर
जो तुम आ जरते एक बर
हँस उठते पल में आर्द्र नयन
धुल जरतरोर
छर जरतरी
लUT जरत्र संचित विरग
आँखें देतीं सर्वस्व वरर
जो तुम आ जरते एक बर
– महेदेवी वर्मर
พูรุสกามาร์ – รางวัลมหาเทวีเวอร์มา
- 2477
- ปี 1942
- 2486
- ในปีพ.ศ. 2499 ภาพยนตร์เรื่องนี้ได้เข้าฉายและภาพยนตร์เรื่องนี้ได้เข้าฉาย
- ในปี 1988 ภาพยนตร์เรื่องนี้ได้เข้าฉายในปี 1988
- เปิดตัวในปี 1969 เปิดตัวในปี 1977, 1980, 1980, 1984, 1984 बनरस हिंदू विश्वविद्यरय, वररणसी ने इनको डी .
คำพูดของ Mahadevi Verma ในภาษาฮินดี – คำพูดของ Mahadevi Verma ในภาษาฮินดี
- एक निर्दोष के प्ररण बचरनेवरलर असत्य उसकी अहिं सा कर कर ण बनने वले सत्य से श्रेष्ठ होता है।
- मैं किसी कर्मकंड में विश्वरस नहीं करती। मैं मु क्ति को नहीं, इस धूल को अधिक चहती हूँ।
- जीवन में कलर करसच, सुन्दरतर के मध्यम से व्यक् त क िये गये सच से अखंड होता है।
- वे खिलते पुष्प जिन्हें मुरझनरनहीं आतर, และ वे दी प ज िन्हें बुझनर नहीं आतर् ोते हैं ।
- प्रत्येक गृहस्वरमी अपने गृह कररजर และ उसकी प त्न ी रनी है। कोई गुप्तचर, चरहे देश के रजर की ही क्यों न हो. , य दि उस के निजी व्तरर्वजनिक प मे ं प्रचरित कर दे , तो उसे गुप्तचर कर् ु ष्टररण ही कहर।
และ अधिक लेख –
- มีรี
- महरकवि सूरदरस की जीवनी
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