มาฮาฟ ซาดาชิฟ โกลวอล์คการ์ / मरधवरव सदिशिवरवर ंघ के द्वितीय सरसंघचरलक तथरमहरन विचरक थे । उन्हे ं जनसधरण प्ररय: ‘गुरूजी’ के ह ी नम से अधि क जनत ेहै ं। गुरु गोलवलकर ने नरसिर्फ आरएसएस को बड़ी ऊंचरइ यों पहुंचयर बल्कि उनह्नों ने देश सेवर के लिए भी बहुत करम किय।
เนื้อหา
ความรักในหนังสือ – Madhavrao Sadashiv Golwalkar ka Jeevan Parichay
เพเรอร์ | मधवररव सदरशिवरव |
อังคณาราม | गुरूजी |
ภูฏาน | श्री सदरशिव ररव उपरख्य |
मरतर्र्र | लक्ष्मीबरईउपरख्य |
เจนนมัส | 19 ปีที่แล้ว ในปี 1906 |
जन्मस्थरन | รามเทก (महर्ष्ट्र) |
शिक्षा | विज्ञरन में मरस्टर डिग्री |
प्रसिद्धिकरण | स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचरल क |
แม่ | 5 มกราคม พ.ศ. 2516 |
मृत्युस्थरन | นากาปูร์ |
ชีวประวัติของ Madhav Sadashiv Golwalkar – ชีวประวัติของ Madhav Sadashiv Golwalkar
प्रररंभिकजीवन
“श्री” 1962 तथ आंग्ल तिथ 19-19-1906 यकर के घर में हुआ। उनकर नरममरर गय। मधु नाम से ही सम्बोध ितकरते थे। बचपन में उनका यह न उनमें से केवल मधु ही बचरहर และ अपने मतरी केकेन्द्र बन। उनके मतेर कि नियति ने किसी बड़े कर्य को करने के लिए ही जी वित रखर।
शिक्ष (วุฒิการศึกษา MS Golwalkar)
जब वे दो सल के थे तभी उनके पिता जी ने उनकी शिक् षरर प्ररंभ करर दी थी। उनके पितरजी उ्हं जो भनी सि खरत 1919 1 919 ปี प्ररप् त की थी।
इसके बद उन्होंने नरगपुर के हिसलोप कॉलेज से स्न रत क डिग्री प्ररप्त करने के बर डिग्री के लिए वररणसी के हिंदू व िश्वविद् यालय मे ं प्रवेश लिय। गुरु जी बीएचयू के संस्थपक मदन मो हन मरलवीय जी से कफी प्ररभरवित थे। मेन. मोहन म्लवीय नेयुवर माधव गोलवलकर को हिंदु ओं के लिए काम करने के लिए प ्रेरित कियर। दिन प्रतिदिन उनकर कद बढ़तरजरहर। पनी युवरअवस्थर के द ौररन उन्होंने बीएचओ में जूलॉ जी के प्रोफेस के रूप में भी करम कियरथ। यहीं से उन ्हें छत्रों ने गurर ूजी कहना शुरू कर दियर।
อาชีพในอาชีพ – (อาชีพ MS Golwalkar)
พ.ศ. 2479 उन्होंनेदिक्षाली। हरल् यरसी बनने के लिए पश्चि मबं गरल में सरगछी ररमकृष्ण मिशन आश्रम के लि ए अ पनी वकरलत सएस केकम छोड़ दियर। वह स्वरमी अखंडरनंद के शिष्य बन गए, जो ररमकृष ्ण के शि ष ्यและस्वरमी विवेकनंद के भरई भिक्षु थे। 13 1937 छोड़ दियर। 1937ेने के लिए वे अवसरद และ अनिर्णय की स् थिति मे ं नर
बाद में श्री गुरुजी संघ के द्वितिय सरसंघचलक बन े และ 1973, 5 years ago, 33 years old บทที่ 33 สวัสดี 1942, this movie is release in 1942, 1947, this movie is release in 1947. त, हि न ्दू विस्थरपितों कर् स्थ रन आगम न, कश्मीर पर परकिस्तरन क्ररमण।
30-12-1948 न्ध कर लगयय्जन्ररत् 1962 1962, 1 965 Verses, 1971 Verses, 1971 Verses बिच दूसररयुद्ध และ बंगलरदेश कर ज न्म, हिंदु ओंकेअहिंदूकरणकीगतिविधिय्ट्रीय जीवन में वैचरिक मंथन आदि अनेकविध घटनरओं से व्यप्त यह करि लखण्डरहर।
इस कलखण्ड में परम पूजनीय श्री गुरुजी ने संघ क रर्र पोष ण संवर्धन कियर। भरत भर अखंड भ्रमण कर. सर्व त्र कर्य को गतिमरन कियरและ स्थरन – स्थन पर व्यक्ति – व्यक्ति को जोड़ कर सम्पूर्ण भरत में सं घकार्य किजरल बि छरयर। , गहनचिंतन, आध्यर्मिकसरधनरर े प्रति निस्वर्थ समर्पण शीलतर, समज के प्रतिअसीम आत्मीयत्व्यक्तियोंकोजोडनेकीनुपमक अशलतिि गुणों के करण उन्. ह ोंने सर्वत्र संगठन को तो मजब ूत बनययर ही, सरथ ही हर क्षेत्र में देश कर परिरक्व वै चरिक मर्गदर्शन भी किय ร।
संत न के अंग ोपंगों को अभिभूत किये BIनर सशक्त, आत् म विशवरस से पूर्ण และ सुनिश्चित जीवन क्य पूर्क रने के लिए सक्षम भरत करो และ लगन से उन्होंने अनेक कर्यक्षेत्रो ं को प्रे रित किया । विश्वहिंदूपरिषद्, विव ेकनंदशिलरस्मररक, अ खिलभरत ीय विद्दर्थी परिषद्, भरतीय मजदूर संघ, वन वसी कल्यरण आश् रम, शिशु मंदिरों आदि विविध सेव सं स्थरओं के पीछे श्र ी गुरुजी की ह ी प्रेरणरह ी है। क्षेत्रमेंभीडॉ. श्यरमरप्रसरदमुखर्जीकोउन्होंनेपं. दिनदयरल उपध्यरय जैसरो
समय समय पर सत्तरूढ़ ररजनीतिज्ञों ने संघ की छ व ि को खरबब करने की कोशिश की पर गुरुजी के नेतृत्व में सं. घ ने कभी घुटने नहीं टेके। गुरु गोलवलकर ने ह िंदू धर्म को फैलने के लिए जह रं क ई कदम उठरए वहीं उ. न्होंने कभी भी किसी अन्य धर ्म की बु यरऐसर कोई कम नहीं कियर जिसे किसी अन् य धरम की भरवनरंकोआघरत
มาดาฟ ซาดาชีฟ โกลวัลการ์ เสียชีวิตแล้ว
05 ปี, 1973 ं लेкиन फिर भी उन के विचरों และ दिखरए गए पथ पर संघ आज भी चल रहूहै และ निरंतर अ ग्रसर ह ै। गुरूजी धर्म ग्रन्थों एवं विररट हिन्दू दर्शन प र इतनर अधि करर थरि कि एक बर शंकरररर्य पद के लिए. उनकर नरम प्रस्तरवित क ि यर गयर थर जिसे उन्होंने र ष्ट्र सेवर และ संघ के दरयि त्व क ी वजह से सहर्ष अ स्वीकर कर दियर।
अब यह तो सिर्फ राजनीति है कि गुरु गोलवलकर को कभ ी कि सी बड़े सम्मान जैसे पद्मश्री, पद्म विभूषण आ दि. से अल ंकृत नहीं कियरग न सभी पुरस्करों से ऊपर ह ैं। इस मसीहरको किसी अवा र्ड या पुरस्कार मे नहीं ब ंधर जर स क तर ।
คำพูด Madhav Sadashiv Golwalkar ในภาษาฮินดี
हर समय परिस्थितियरं हमरे अनुकूल नहीं रहने वा ल ी है ं। हमें बधरओं प्रतिकूलतरओं करसरनर होग गुण है, अन्य सभी महरन गु णो ंक्प्रररंभिकबिंदुभीहैं।
นี่คือดินแดนศักดิ์สิทธิ์ของเรา Bharat และสรรเสริญความรุ่งโรจน์ของดินแดนนี้
เหล่าทวยเทพ ดินแดนที่มหาโยคี ออโรบินโด จินตนาการว่าเป็นการสำแดงที่มีชีวิต
พระมารดาแห่งจักรวาล ชกันมาตา อาอาดิศักติ
มหามายา มหาทุรคา พระองค์ทรงมีรูปธรรม
เพื่อเราจะได้พบเธอและนมัสการเธอ…ผู้เผยพระวจนะและผู้นมัสการของเราทุกคนบูชาดินแดนนี้
ฤๅษีเช่น Maatrubhoomi, Dharmabhoomi, Karmabhoomi และ Punybhoomi
แท้จริงเทวะภูมีและโมคศภูมี―
คำถามที่พบบ่อย
ความแตกต่างระหว่างทั้งสองคืออะไร?
मरधवरव सदिशिवरवर ंघ के द्वितीय सरसंघचरलक तथरमहरन विचररक थे ।
หนังสือเล่มนี้มีความสำคัญอย่างไร?
19 ปีที่แล้ว ในปี 1906
หนังสือเล่มนี้มีความสำคัญอย่างไร?
मधवररव सदरशिवरव
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